Menu
blogid : 12449 postid : 6

मनुष्य

अभिषेक राजावत
अभिषेक राजावत
  • 11 Posts
  • 10 Comments

जहाँ तक मेरी सोच जाती है मैंने तो हर आदमी को स्त्री द्वारा छलता हुआ देखा है / जब कोई पुरुष शादी करके पहली बार अपने घर आता है उसी समय से वह अपने भविष्य कि चिंता करने लगता है कि आगे हमे क्या और कैसे करना है, लेकिन औरत शदी वाले दिन से भी पहले से ये सोचने लगाती है कि अब तो जो करना है पति ही करेगा / अब आप कहेंगे कि मैं अबलाओं के पीछे क्यों पड़ा हुआ हूँ तो इसके बारे में कहूँगा कि ये मेरा आँखों देखा अनुभव है जैसे –
मेरे मामाजी का लड़का है उसकी शादी हुई तो हमे बहुत ख़ुशी हुई शादी के बाद कुछ दिनों तक सब ठीक चलता रहा लेकी कुछ समय बाद पता चला कि भाभीजी को गुटखा खाने कि आदत है भाई ने भाभी को पहले तो समझाया कि गुटखा खाना स्वास्थ्य और धन दोनों कि बर्बादी करना है जब वो नहीं मानी तो थोडा धमकाया थोड़ी बहुत तूतू मैं मैं भी हुई लेकिन भाभीजी पर कोई असर नहीं हुआ / जब कोई असर नहीं हुआ तो भाई ने कहना ही छोड़ दिया / फिर तो भाभी को ऐसी लत लगी कि अगर घर मैं पैसे नहीं है तो गुटखे के लिए घर में रखे अनाज को थोडा-थोडा बेचकर गुटखा मगाने लगी घर में फिर से कलह शुरू हो गई खैर जैसे तैसे हमने भाई को समझाया कि इसकी ये आदत तो अब छूटने से रही इससे तो अच्छा है कि आप इनको गुटखे का खर्च अलग से दे दिया करें भाई ने ऐसा ही किया, अब हाल ये है कि भाई रत को जब अपनी दुति पर से आता है तो उसको खाना भी रुखा सुखा खाना पड़ता है क्योंकि भाई रत को ९-१० बजे आ पता है तब तक भाभी जी खाना खाकर जो भी खुछ बचता है उसे पड़ोसियों को दे देती हैं अब आप ही बताएं भाई क्या करे ?
अब आप लोग कहेंगे कि ये सारी बातें इसके घर या रिश्तेदारों में ही क्यों होती हैं, इसके लिए मैं ये समझाता हूँ कि दूसरे लोगों कि आप बीती लिखने पर शायद उनको आपत्ति हो सकती है / इसलिए मैं अपने ही परिवार और रिश्तेदारों का उदहारण देता हूँ वो भी उनसे पूछकर / हो सकता है कि मुझे शब्दों को उलट फेर कर लिखना न आता हो लेकिन हकीकत बयां करना में जनता हूँ /

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply